भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनों की हुंकार... तिरंगे की मर्यादा से खिलवाड़, झंडा खरीदी में लाखों का खेल उजागर...
30 जुलाई 2025
नागदा जंक्शन
नागदा जंक्शन (✍️ कैलाश सनोलिया)। उज्जैन जिले की भाजपा बहुमत वाली नगर परिषद में अब घर के ही पार्षदों ने भ्रष्टाचार की सुरंग को उजागर करना शुरू कर दिया है। विपक्ष जहां गहरी नींद में है, वहीं सत्ता पक्ष के पार्षद खुद ही जनसरोकारों से जुड़ी गड़बड़ियों को सामने ला रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को भाजपा पार्षदों ने एक विशेष प्रेसवार्ता में परिषद के कार्यकलापों पर गंभीर आरोप लगाए।
यह प्रेसवार्ता भाजपा पार्षद सीमा कुंवर राणावत के निवास पर आयोजित की गई, जिसमें पार्षद महेंद्रसिंह धोनी, प्रतिनिधि भूपेंद्रसिंह राणावत और पार्षद शिवा पोरवाल शामिल हुए। मुख्य मुद्दा बना ‘घर-घर तिरंगा अभियान’ में तिरंगा खरीदी को लेकर हुआ कथित भ्रष्टाचार।
तिरंगे की कीमत बनी सवालों की जड़...
पार्षदों ने आरोप लगाया कि तिरंगा अभियान में 1 लाख रुपये खर्च दिखाया गया, जबकि पार्षदों को कुल 720 झंडे बांटे गए थे। एक झंडे की लागत अधिकतम 50 से 100 रुपये के बीच मानी जाए, तो भी अधिकतम खर्च 72 हजार रुपये ही होना चाहिए था। प्रेसवार्ता में इसका बिल भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें 5 तिरंगों की कीमत 250 रुपये दिखाई गई थी।
हैरानी की बात यह रही कि प्रस्तुत दस्तावेजों में यह स्पष्ट नहीं था कि कुल कितने तिरंगे खरीदे गए। यह गड़बड़ी संदेह को और गहरा करती है।
नियम तोड़, जनता के पैसे से तीर्थ यात्रा...
पार्षदों ने नपा अध्यक्ष पर सरकारी स्कॉर्पियो वाहन से निजी तीर्थयात्रा पर जाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का निजी कार्यों में दुरुपयोग जनता के विश्वास के साथ धोखा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठती आवाज को अनुशासनहीनता कहना अनुचित...
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या यह अनुशासनहीनता है, तो पार्षदों ने स्पष्ट किया कि वे पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
नपा में वर्षों से नहीं हुआ ऑडिट...
एक अन्य गंभीर आरोप यह भी था कि नगर परिषद का वर्षों से ऑडिट ही नहीं हुआ। पार्षदों ने कहा कि यह बात कई सवालों को जन्म देती है और वित्तीय अनियमितताओं की ओर स्पष्ट इशारा करती है।
कांग्रेस की चुप्पी पर उठे सवाल...
प्रेसवार्ता में यह भी स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जिस आवाज को कांग्रेस को उठाना चाहिए था, वह भाजपा के पार्षद उठा रहे हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी...
अविश्वास प्रस्ताव लाने की स्थिति पर पार्षदों ने कहा कि यह कांग्रेस का मुद्दा है, लेकिन वे भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन का रास्ता भी अपनाएंगे।
सुलगते सवाल...
1. जब भाजपा के पार्षद ही अपनी परिषद के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं, तो क्या प्रधानमंत्री की "ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा" की नीति फलीभूत हो रही है?
2. क्या कैलाश विजयवर्गीय का भ्रष्टाचार मिटाने का दावा जमीनी हकीकत से मेल खाता है?
3. ईमानदार माने जाने वाले विधायक डॉ. तेजबहादुरसिंह चौहान के क्षेत्र में हो रहे इस तरह के आरोप क्या उनकी छवि पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाते?
4. और सबसे बड़ा सवाल – जब कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टी मौन है, तो क्या भाजपा के ही कुछ जागरूक पार्षद जनता की आवाज बनेंगे?






Comments (0)