बड़ा हादसा... माछलिया घाट बना मौत का जाल… तीन वाहन टकराए, झाबुआ-इंदौर मार्ग घंटों जाम… सिस्टम नदारद...
26 दिसंबर 2025
धार / झाबुआ
धार/झाबुआ। आज तड़के माछलिया घाट पर जो हुआ… वह महज सड़क दुर्घटना नहीं… बल्कि व्यवस्था की खुली नाकामी है… झाबुआ से इंदौर जाने वाला मुख्य मार्ग घंटों से जाम में कैद है और खबर लिखे जाने तक न पुलिस पहुंची है… न एंबुलेंस… न हाईवे एंबुलेंस… न ही हाईवे पेट्रोलिंग की कोई गाड़ी…
माैके पर माैजूद सूत्राें के अनुसार सुबह करीब पांच बजे एक वाहन घाट में दुर्घटनाग्रस्त हुआ… चालक को बाहर निकालने की कोशिशें चल ही रही थीं कि एक ट्रक के ब्रेक फेल हो गया गए और फिर पल भर में तीन वाहन देखते ही देखते एक के बाद एक टवैरा, आयसर और ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हाे गए... हांलाकी दुर्घटना हाेने के बाद ट्रक चालक ट्रक लेकर फरार हाे गया और पीछे घाट का पूरा मार्ग थम गया…

रॉन्ग साइड से गुजरने को मजबूर लोग… खतरा हर कदम पर...
हादसे के बाद झाबुआ से इंदौर जाने वाला मार्ग पूरी तरह बंद है… वाहन चालक रॉन्ग साइड से निकलने को मजबूर हैं… हर गुजरती गाड़ी एक और बड़े हादसे को दावत दे रही है… इंदौर से झाबुआ आने वाला मार्ग चालू बताया जा रहा है… लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित नही है…
मदद नदारद रही है...?
इतना बड़ा हादसा… इतना लंबा जाम और इसके बावजूद कोई आपात सेवा मौके पर नहीं… न 108… न हाईवे एंबुलेंस… न पुलिस… न ट्रैफिक नियंत्रण… घाट में फंसे यात्री घंटों से इंतजार कर रहे हैं… लेकिन सिस्टम की तरफ से सिर्फ खामोशी…
पहले भी चेताया गया था… फिर भी लापरवाही...
माछलिया घाट पहले भी कई गंभीर हादसों का गवाह रहा है… ब्रेक फेल… ओवरलोड ट्रक… ढलान और निगरानी का अभाव… हर बार चेतावनी मिली… हर बार वादे हुए और हर बार हादसे के बाद सब शांत…
माछलिया घाट में राहत की पहल… जागरूक नागरिक की सूझबूझ से कुछ हद तक बहाल हुआ आवागमन...
जहाँ एक ओर सिस्टम की गैरहाजिरी सवाल खड़े कर रही थी… वहीं हमारे जागरूक पाठक और जिम्मेदार नागरिक झाबुआ निवासी लालसिंह भूरिया की तत्परता और सूझबूझ राहत बनकर सामने आई... लालसिंह भूरिया ने मौके पर मौजूद लोगों के साथ मिलकर वाहनों की कतारों को व्यवस्थित किया और वाहन आवागमन को कुछ हद तक सुगम बनाने का प्रयास किया, जिससे जाम की स्थिति आंशिक रूप से खुल सकी... स्थानीय स्तर पर किए गए इस प्रयास से झाबुआ से इंदौर की ओर फंसे वाहनों को नियंत्रित तरीके से निकासी मिलने लगी। महत्वपूर्ण यह भी है कि मौके की सटीक सूचना भी इन्हीं के द्वारा समय पर साझा की गई, जिससे स्थिति की वास्तविकता सामने आ सकी...

यह पहल बताती है कि जब व्यवस्था देर से पहुंचती है… तब आमजन और जागरूक नागरिक ही पहला सहारा बनते है... हालांकि यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन सवाल अब भी कायम है... क्या ऐसी स्थितियों में प्रशासनिक तंत्र का समय पर पहुंचना सुनिश्चित नहीं होना चाहिए...?





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